“CEC हटाओ, लोकतंत्र बचाओ!” — संसद में महाभियोग का लॉन्च इवेंट तैयार!

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

भारतीय राजनीति की रिएलिटी टीवी में नया ट्विस्ट आ गया है! इंडिया गठबंधन ने चुनाव आयोग के खिलाफ बिग बॉस स्टाइल में “महाभियोग का गेम” खेलने की ठान ली है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर विपक्ष का आरोप है कि वोट चोरी का स्क्रिप्ट उन्होंने लिखा और डायरेक्शन भी खुद ही किया।

सोमवार को संसद भवन में गठबंधन की एक स्ट्रेटजी मीटिंग हुई, जहाँ ये तय हुआ कि ज्ञानेश कुमार पर महाभियोग प्रस्ताव लाकर “लोकतंत्र को लिव इन रिलेशनशिप” से निकालकर शादी करवानी है — मतलब जवाबदेही पक्की करनी है।

क्या होता है महाभियोग? — थोड़ा ज्ञान जरूरी है भाई!

महाभियोग मतलब VIP लोगों का Exit Plan। संविधान कहता है कि अगर कोई बड़ी कुर्सी वाला बंदा जैसे कि राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के जज, या फिर मुख्य चुनाव आयुक्त — संविधान का उल्लंघन करे, दुर्व्यवहार करे या फिर काम करने लायक ना बचे, तो उसे बाहर का रास्ता दिखाने के लिए महाभियोग लाया जा सकता है।

मतलब संसद को मिल गया है ‘Big Red Button’ जिसे दबाकर ये VIP सीट खाली कर सकते हैं।

इतिहास क्या कहता है? — “3 Ka Tadka”

अब तक भारत में महाभियोग के नाम पर ड्रामा ज्यादा, एक्शन कम हुआ है।

  • 2018: CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया, लेकिन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उसे कूड़ेदान में डाल दिया।

  • 2016-17: तेलंगाना हाईकोर्ट के जज सीवी नागार्जुन रेड्डी के खिलाफ प्रयास हुआ, पर समर्थन उतना ही मिला जितना सड़कछाप पार्टी को मिलता है।

  • 2015 में तो एक साल में तीन बार ट्रेलर चला, लेकिन कोई फुल मूवी नहीं बनी।

वोट चोरी का खुलासा और जीरो एड्रेस का हंगामा

हाल ही में “वोटर लिस्ट में जीरो नंबर एड्रेस” नाम की नई मिस्ट्री का भी खुलासा हुआ, जिससे विपक्ष का गुस्सा “गैस सिलेंडर” बन गया। चुनाव आयोग की सफाई आई लेकिन विपक्ष ने कहा — “हमसे न हो पाएगा भरोसा”।

आगे क्या? — जनता देखेगी “संसद का महासंग्राम”

महाभियोग प्रस्ताव लाना कोई छोटा काम नहीं, इसके लिए चाहिए:

  • लोकसभा या राज्यसभा के 100 सांसदों का समर्थन (राज्यसभा में) या 50 (लोकसभा में)

  • लंबी कानूनी प्रक्रिया, जांच कमेटी, और अंत में दोनों सदनों में पासिंग

Translation: सिर्फ गुस्से में ट्वीट करने से कुछ नहीं होगा, सांसदों की गिनती और गेम प्लान जरूरी है।

लोकतंत्र बचाओ या सिरदर्द बढ़ाओ?

अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या इंडिया गठबंधन इस बार सच में कुछ कर पाएगा, या ये भी वही “कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस और AAP की स्टंटबाजी” टाइप गुमशुदा फाइल बनकर रह जाएगा?

लोकतंत्र का भविष्य फिर वहीं खड़ा है — वोटर ID और आधार कार्ड की जुगलबंदी के बीच उलझा हुआ।

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